कहाँ हैं राम ? कण कण में हैं , मेरे मन में है , तेरे मन में है | आस्था है , वो श्रद्धा है सामाजिक मर्यादा में है | विचार में है , संवेदना में है , प्रेम में है , और अनुरोध में है | नहीं हैं वो किसी पत्थर में , पाखंड में , अवसाद में , प्रतिपाद में | आचरण में है राम , पिता के सम्मान में है , माँ की आज्ञा पालन में है , पत्नी के समादर में है , और भाई के सौहार्द में है राम | जिसे ना सम्मान का मोह ना हो अपमान का भय, ऐसे हर इंसान में है राम | राम नहीं है बस एक नाम , भारत की संस्कृति की जान है राम | प्रतीकों में मत समेटो इनको , मूर्ति, मंदिर का करते हुए निर्माण जानो की राम न चाहें ऐसे प्रमाण | भूल न जाओ क्या है राम, जपते जपते उनका नाम समझो उनके गुणों का दाम | राम छलके तुममें भी, ऐसे करो काम तभी मिलेगा राम धाम | जय सिया राम |